Wednesday, May 7, 2008

कैंसर क्या नहीं है-

‘कैंसर’... नाम सुनकर आम तौर पर लोगों के मन में कई तरह के ख्याल आते हैं। ज्यादातर लोग इसे जान लेने वाली, कष्टदायक, खर्चीले और लंबे इलाज वाली बीमारी के रूप में जानते हैं। इनमें से कुछ बातें काफी हद तक सच भी हैं। फिर भी आम तौर पर इसके बारे में जानकारी का स्तर इससे ऊपर नहीं होता। कैंसर क्या है, इस बारे में चर्चा बाद में करेंगे। पहले जान लें कि कैंसर के बारे में क्या और कितनी गलतफहमियां लोगों में फैली हुई हैं।


कैंसर क्या नहीं है-


• कैंसर छूत की बीमारी नहीं है जो मरीज को छूने, उसके पास जाने या उसका सामान इस्तेमाल करने से हो सकती है।

• कैंसर के मरीज का खून या शरीर की कोई चोट या घाव छूने से कैंसर नहीं होता।

• कैंसर मधुमेह और उच्च रक्तचाप की तरह शरीर में खुद ही पैदा होने वाली बीमारी है, किसी रोगाणु के संक्रमण से होने वाली नहीं।

• बच्चे को स्तनपान कराने से स्तन कैंसर होता हो, ऐसा नहीं है।

• चोट या धक्का लगने से स्तन कैंसर नहीं होता। बल्कि कई बार चोट लगने पर इसकी तरफ ध्यान जाता है और इसका पता लगता है।

• कैंसर असाध्य नहीं है और न ही इससे मरना जरूरी है। जल्दी पता लगने और इलाज कराने पर यह ठीक हो सकता है। कैंसर के बाद भी सामान्य जीवन जिया जा सकता है।

• मुझे कैंसर नहीं हो सकता- यह ख्याल छोड़ दीजिए। यह मोटे-पतले, छोटे-बड़े, गोरे-काले, अमीर-गरीब सभी को हो सकता है।

• 20 साल की उम्र से लेकर मृत्यु की चौखट पर खड़ी किसी बूढ़ी महिला तक किसी भी उम्र की महिला को स्तन कैंसर हो सकता है।

• स्तन कैंसर पुरुषों को भी होता है। 200 में से एक स्तन कैंसर का मरीज पुरुष हो सकता है।

• खान-पान और जीवनचर्या में सकारात्मक बदलाव करके कैंसर होने की संभावना को कम किया जा सकता है। लेकिन एक बार कैंसर हो जाने के बाद उसे इस तरह ठीक नहीं किया जा सकता। इसका प्रामाणिक इलाज ऐलोपैथी ही है।

• कैंसर दिनों या महीनों में नहीं होता। आम तौर पर इसकी गांठ बनने और किसी अंग में जम कर बैठने और विकसित होने में बरसों लगते है। जबकि इसका पता हमें बहुत बाद में लगता है।

• ज्यादातर (100 में से 93) मामलों में स्तन कैंसर वंशानुगत यानी खानदानी बीमारी नहीं है। अनेक सहायक कारक मिल कर कैंसर की स्थितियां पैदा करते हैं।

• वैसे तो स्तन की 90 फीसदी गांठें कैंसररहित होती हैं, सिर्फ 10 फीसदी गांठों में कैंसर की संभावना होती है। फिर भी हर गांठ की फौरन जांच करानी चाहिए।

• ज्यादातर मामलों में कैंसर की शुरुआत में दर्द बिल्कुल नहीं होता।

16 comments:

अनूप शुक्ल said...

आपकी किताब मैंने पढ़ी है। तमाम लोगों को पढ़वायी भी है। अनुरोध है कि आप नियमित लिखती रहें। अच्छी जानकारी दी आपने।

Udan Tashtari said...

बहुत स्वागत है इस बेहतरीन जानकरी के साथ.

आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.

एक नया हिन्दी चिट्ठा भी शुरु करवायें तो मुझ पर और अनेकों पर आपका अहसान कहलायेगा.

इन्तजार करता हूँ कि कौन सा शुरु करवाया. उसे एग्रीगेटर पर लाना मेरी जिम्मेदारी मान लें यदि वह सामाजिक एवं एग्रीगेटर के मापदण्ड पर खरा उतरता है.

यह वाली टिप्पणी भी एक अभियान है. इस टिप्पणी को आगे बढ़ा कर इस अभियान में शामिल हों. शुभकामनाऐं.

आर. अनुराधा said...

धन्यवाद, इस ब्लॉग पर पहली टिप्पणी के लिए। इससे मेरा उत्साह बढ़ा है। ब्लॉग में किताब के अलावा भी सामग्री डालने का विचार है। पाठकों के विचार भी पोस्ट की तरह डालना चाहूंगी, अगर वे इजाजत दें।

अनूप भार्गव said...

व्यवहारिक जानकारी के लिये धन्यवाद । किताब के बारे में बतायें । फ़ुरसितिया जी कह रहे हैं तो अच्छी ज़रूर होगी ।

masha said...

kamaal hai, yaar. tum itna sab kaise kar leti ho. ek blog aur!! main to tumhe hamesha kehti hun, tumse milne ya baat karne ke baad zindagi ko har din naye sire se dekhne ka tarika malum chalta hai. tumhara shukriya ki tum meri chhoti si dunia ka hissa bani. ha, is blog ki lie badhai.

masha

pranava priyadarshee said...

बधाई और धन्यवाद. तुम्हारी पहली ही पोस्ट ने स्थिति साफ कर दी. कैंसर पर तुम जो जानकारियाँ दे रही हो और आगे दोगी वह तो अपनी जगह है ही, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण मेरे ख़याल से, ज़िंदगी को देखने का तुम्हारा नजरिया है जिसकी झलक पहली पोस्ट मे तुमने दे दी है. उम्मीद है यह ब्लोग हमे कैंसर का मुकाबला करने के ज्यादा काबिल बनाएगा और जिंदगी जीने का सलीका भी देगा.

प्रेमलता पांडे said...

बहुत सार्थक और ज़रुरी बातें। धन्यवाद लिखने के लिए।

'खान-पान और जीवनचर्या में सकारात्मक बदलाव करके कैंसर होने की संभावना को कम किया जा सकता है। लेकिन एक बार कैंसर हो जाने के बाद उसे इस तरह ठीक नहीं किया जा सकता।'
यह विस्तार से लिखें ऐसा अनुरोध करती हूँ।

SMYK said...

Cancer per blog shuru karne ke bahut-bahut badhai. Asha hai yeh abhiyan jari rahega. Bahut jald www.medianowonline.com ke blog list main isko shamil kia jayega aur medianowonline ke sare blogs per iska link rehaga. Punah badhai...

Girish Kumar Billore said...

कहानी कहते-कहते सो गयी माँ .....? link http://billoresblog.blogspot.com/ jo kensar se jeet n sakee...!

ashwini said...

well. information about cancer for them, who doesn't know more about this. pls. tell about brain tumour and its possible treatmaents. in which path more useful.

Unknown said...

Har bar ki tarah ab bhi Jankari ek ruchikar tareeke me,BADHAI!!!
Is Blog ke jariye jo fayada main sabse jyadaa dekh pa rahi hoon--

Yuva varg Ke khan-pan aur life style ka sahi hona,jo ki buri tarah se bigadta ja raha hai.Hum bade bhi( ya hi ?) jimmedar hain.Jisme school ki canteen se lekar shopping aur moovie prog ka ant Catpata khane se hota hai.
Mujhe yaad hai meri maa Aise prog ke din khane ki poori taiyaree karke jati thi, khomche walon par hamari nazar padte hi kahti-Ghar mein kofte bane hain,bas hum sab ghar chal padte.
Hamari jimmedari hai,bacchon ko sahi khan-pan aur rahan-sahan ke tareeke sikhane ki.
Jo is blog ke jariye jaroor hoga.

Anita kumar said...

good post . Please keep writing .will try to get your book

Anonymous said...
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