स्तन कैंसर स्तन में शुरू होता है। जब तक यह स्तन तक सीमित है, इससे
मरने का अंदेशा नहीं है।
जब तक स्तन कैंसर स्तन तक सीमित है, इसका इलाज भी अच्छी तरह से हो
सकता है।
अगर स्तन कैंसर का इलाज समय पर न किया जाए तो यह स्तन से निकल कर
हड्डियों, पेफड़ों, दिमाग, जिगर आदि में फैल जाता है।
स्तन कैंसर स्तन से बाहर के किसी अंग/अंगों में फैल जाए
तो इसे स्टेज 4 या एडवांस स्टेज का या मेटास्टैटिक स्तन कैंसर कहते हैं।
हमारे देश में लोग यही समझते हैं कि स्तन कैंसर यानी मेटास्टैटिक स्तन
कैंसर, क्योंकि मरीज जब पहले-पहल अस्पताल पहुंचते हैं तो उनमें से 80 फीसदी स्टेज
3 या 4 में होते हैं- यानी मामला हाथ से निकला ही समझो।
सिर्फ 20 फीसदी मरीज ही स्टेज 1 या 2 में अस्पताल पहुंच पाते हैं।
इनके बचने, लंबा, स्वस्थ जीवन जीने की संभावना काफी बेहतर होती है।
लगभग 100 फीसदी मामलों में महिलाओं को खुद ही सबसे पहले पता चलता है
कि उनके स्तन में कुछ बदलाव आए हैं जो सामान्य नहीं हैं। बिना किसी मशीनी जांच-
मेमोग्राफी, एस आर आई, सीटी स्कैन के सिर्फ अपनी अंगुलियों से महसूस करके और आइने
में देखकर जाना जा सकता है कि स्तन में कहीं कोई बदलाव, गड़बड़ी तो नहीं।
स्तन कैंसर जब स्तन में ही सीमित हो, तभी इसके प्रति सचेत होने की
जरूरत है, ताकि बेहतर इलाज और बेहतर जिंदगी की गुंजाइश हो।
स्तन कैंसर जितनी जल्दी पहचाना जाता है, उसका इलाज उतना ही कम लंबा,
कम खर्चीला, अपेक्षाकृत सरल और ज्यादा कारगर होता है।