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Wednesday, September 25, 2013

स्तन कैंसर से कोई नहीं मरता- यह सच है

स्तन कैंसर स्तन में शुरू होता है। जब तक यह स्तन तक सीमित है, इससे मरने का अंदेशा नहीं है।

जब तक स्तन कैंसर स्तन तक सीमित है, इसका इलाज भी अच्छी तरह से हो सकता है।

अगर स्तन कैंसर का इलाज समय पर न किया जाए तो यह स्तन से निकल कर हड्डियों, पेफड़ों, दिमाग, जिगर आदि में फैल जाता है।

स्तन कैंसर स्तन से बाहर के किसी अंग/अंगों में फैल जाए तो इसे स्टेज 4 या एडवांस स्टेज का या मेटास्टैटिक स्तन कैंसर कहते हैं।

हमारे देश में लोग यही समझते हैं कि स्तन कैंसर यानी मेटास्टैटिक स्तन कैंसर, क्योंकि मरीज जब पहले-पहल अस्पताल पहुंचते हैं तो उनमें से 80 फीसदी स्टेज 3 या 4 में होते हैं- यानी मामला हाथ से निकला ही समझो।

सिर्फ 20 फीसदी मरीज ही स्टेज 1 या 2 में अस्पताल पहुंच पाते हैं। इनके बचने, लंबा, स्वस्थ जीवन जीने की संभावना काफी बेहतर होती है।

लगभग 100 फीसदी मामलों में महिलाओं को खुद ही सबसे पहले पता चलता है कि उनके स्तन में कुछ बदलाव आए हैं जो सामान्य नहीं हैं। बिना किसी मशीनी जांच- मेमोग्राफी, एस आर आई, सीटी स्कैन के सिर्फ अपनी अंगुलियों से महसूस करके और आइने में देखकर जाना जा सकता है कि स्तन में कहीं कोई बदलाव, गड़बड़ी तो नहीं।

स्तन कैंसर जब स्तन में ही सीमित हो, तभी इसके प्रति सचेत होने की जरूरत है, ताकि बेहतर इलाज और बेहतर जिंदगी की गुंजाइश हो।


स्तन कैंसर जितनी जल्दी पहचाना जाता है, उसका इलाज उतना ही कम लंबा, कम खर्चीला, अपेक्षाकृत सरल और ज्यादा कारगर होता है। 

Wednesday, August 14, 2013

डबल मास्टेक्टोमी बरास्ता एंजलीना जोली फिर एक बार

अपने को प्रकाशित, प्रचारित करना मेरी फितरत में ज़रा कम है। इसलिए कई बार कुछ ऐसी बातों की जानकारी फैलाने में भी बड़ी देर लग जाती है, जो आत्म-प्रचार लगती हैं, पर उनका सरोकार बहुत से लोगों से है।

ऐसे ही, कोई दो महीने पहले हॉलीवुड स्टार एंजलीना जोली के डबल मास्टेक्टोमी (इसी बहाने मास्टेक्टोमी और डबल मास्टेक्टोमी जैसे टंग-ट्विस्टर, अनजाने कठिन तकनीकी अंग्रेज़ी शब्द जवान -बूढ़े सभी की ज़ुबान पर चढ़ गए।) पर हिंदुस्तानी मीडिया में जबर्दस्त चर्चा छिड़ी, जिसका दरअसल आम हिंदुस्तानी के लिए कोई अर्थ नहीं था। यह रसीली चर्चा इस अर्थ में सकारात्मक रही कि इसके बहाने स्तन कैंसर जैसे आम तौर पर वर्जित विषय पर बातें हुईं, लोगों की जानकारी बढ़ी।

उस हफ्ते में मेरी व्यस्तता भी बढ़ गई थी। विशेषज्ञ मरीज़ के तौर पर कई चैनलों और पत्रिकाओं ने मेरे विचारों को जानने में दिलचस्पी दिखाई।

ऐसा ही एक कार्यक्रम यू-ट्यूब पर अब भी मौजूद है। यह राज्यसभा टीवी पर अमृता राय का कार्यक्रम 'सरोकार' है जिसमें मेरे अलावा कैनसपोर्ट की हरमाला गुप्ता भी हैं। उसका लिंक इधर दे रही हूं।

http://www.youtube.com/watch?v=D-zNDX0QMDg

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