Tuesday, March 24, 2009

हमारा घर

रजिया मिर्जा इस ब्लॉग की नई पाठक और कॉन्ट्रीब्यूटर हैं। उन्होंने यह कविता भेजी तो मैं एक मिनट भी रुक नहीं पाई उसे ब्लॉग पर लगाने से। उनकी स्थिति को हम सब समझते हैं और उम्मीद और दुआ करते हैं कि मां जल्द ही इलाज पूरा करके, उसकी तकलीफों से उबर कर फिर स्वस्थ हो जाएंगी।

मेरा घर, हमारा घर, हम सब का घर।

बडी, मंझली, छोटी और मुन्ने का घर ।

जहाँ हम पले, जहाँ हमने अपनी पहली सांस ली।

जिसमें हमारा वजूद बना।

जिस से हमारे ताने-बाने जुडे हुए थे,

वो हमारा घर।

पर आज….हमारे उसी घर को,

घेर रख़ा है दीमक ने।

दीमक ने अपना जाल खूब फैला रख़ा है,

हमारे उसी घर पर।

लोग कहते हैं “निकाल दो इस दीमक को”।

पर कैसे? कैसे निकाल सकते हैं हम इसे?

इस से जो हमारी “मा” जुडी है।

उसका इस घर से पचत्तर साल का नाता है।

और फिर वो कमजोर भी तो है।

उस बेचारी को तो पता भी नहीं कि..

दीमक ने घेर रख़ा है उसके घर को।

पर हाँ…!इलाज जारी है, दीमक के फैलते हुए जाल को

रोकने का…।

“ कीमोथेरेपी और रेडिएशन ” के ज़रीए।

ताकि बच जाए हमारी “माँ”

Sunday, March 8, 2009

संक्षेप में जो आप जानना चाहते हैं स्तन कैंसर के बारे में

बदले समय में भारतीय महिलाओं में भी स्तन का कैंसर सबसे आम हो गया है। हर 22 वीं महिला को कभी न कभी स्तन कैंसर होने की संभावना होती है। शहरी महिलाओँ में यह संख्या और भी ज्यादा है।

खुद पहचानें
स्तन कैंसर के सफल इलाज का एकमात्र सूत्र है- जल्द पहचान। आइने के सामने और शावर में या लेट कर स्तनों की हर महीने पीरियड के बाद खुद जांच करके देखें-

- स्तन या निप्पल के आकार में कोई असामान्य बदलाव।
- कोई गांठ, चाहे वह मूंग की दाल के बराबर ही क्यों न हो।
- स्तन में सूजन, लाली, खिंचाव या गड्ढे पड़ना, संतरे के छिलके के समान छोटे-छोटे छेद या दाने-से बनना।
- एक स्तन पर खून की नलियां ज्यादा स्पष्ट दिखने लगना।
- निप्पल भीतर को खिंचना, उसमें से दूध के अलावा कोई भी स्त्राव- सफेद, गुलाबी, लाल, भूरा, पनीला या किसी और रंग का, होना ।
- स्तन में कही भी लगातार दर्द होना।

जांच
• 40 की उम्र में एक बार और फिर हर दो साल में मेमोग्राफी करवानी चाहिए ताकि शुरुआती स्टेज में ही स्तन कैंसर का पता लग सके।
• ब्रेस्ट स्क्रीनिंग के लिए एमआरआई, अल्ट्रासोनोग्राफी भी की जाती है।
• एफएनएसी- किसी ठोस गांठ की जांच सुई से वहां की कोशिकाएं निकालकर की जाती है।

बचाव
- कसरत: हर हफ्ते सवा तीन घंटे दौड़ लगाने या 13 घंटे पैदल चलने वाली महिलाओं को स्तन कैंसर की संभावना 23 फीसदी कम होती है।
- मातृत्व: बच्चे पैदा करना, वह भी सही उम्र में, और उसे स्तनपान कराना स्तन कैंसर को टालने का कारगर तरीका है।
- व्यसन: गुटका, तंबाकू और धूम्रपान ही नहीं, अल्कोहल भी स्तन कैंसर के रिस्क को बढ़ाता है। हर ड्रिंक का अर्थ है, कैंसर के खतरे में इजाफा।
- धूपस्नान: विटामिन डी की कमी का सीधा संबंध स्तन कैंसर से है। शरीर को हर दिन 1000 मिलिग्राम कैल्शियम और 350 यूनिट विटामिन डी मिलना चाहिए। 5-10 मिनट का धूपस्नान शरीर में विटामिन डी बनाने में मदद करेगा।
- कैलोरी में कटौती: रेड मीट और प्रोसेस्ड भोजन कम, होल ग्रेन, फल-सब्जियां ज्यादा खाना कैंसर से बचाव का रास्ता है। चर्बी से मिलने वाली कैलोरी कुल कैलोरी की 20 फीसदी तक रहे तो स्तन कैंसर की संभावना में 24 फीसदी की कटौती हो सकती है।
- छरहरी काया: शरीर पर छाई चर्बी ईस्ट्रोजन हॉर्मोन बनाती है जो स्तन कैंसर का कारण है। दुबला लेकिन सुपोषित होना आदर्श स्थिति है।

भ्रम न पालें
• कैंसर छूत की, संक्रमण से होने वाली बीमारी नहीं है। मधुमेह और उच्च रक्तचाप की तरह शरीर में खुद ही पैदा होती है।
• चोट या धक्का लगने से स्तन कैंसर नहीं होता। बल्कि कई बार चोट लगने पर इसकी तरफ ध्यान जाता है।
• 20 साल की युवती से लेकर मृत्यु की चौखट पर खड़ी बूढ़ी महिला तक किसी को भी स्तन कैंसर हो सकता है।
• स्तन कैंसर पुरुषों को भी होता है। 200 में से एक स्तन कैंसर का मरीज पुरुष हो सकता है।
• खान-पान और जीवनचर्या में सकारात्मक बदलाव करके कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है। लेकिन कैंसर हो जाने के बाद इसका प्रामाणिक इलाज ऐलोपैथी ही है।
• 93 फीसदी मामलों में स्तन कैंसर वंशानुगत बीमारी नहीं है।
• स्तन की 90 फीसदी गांठें कैंसररहित होती हैं, सिर्फ 10 फीसदी गांठों में कैंसर की संभावना होती है। फिर भी हर गांठ की फौरन जांच करानी चाहिए।
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