(इलाज पक्का था, मरीज ने पूरा करवाया भी, फिर भी बच न पाई?! बहुत नाइंसाफी है ये।
एक महिला डॉक्टर के पास अपनी जांच करवाने गई। तभी पता लगा कि उसे कैंसर हुआ है। डॉक्टर ने कहा कि कोई चिंता की बात नहीं है। उसने अपने मरीज को स्तन कैंसर का ताजातरीन इलाज तस्कीद कर दिया। इस इलाज के बारे में साबित हो चुका था कि यह स्तन कैंसर का सौ फीसदी प्रभावी, शर्तिया इलाज है। आम जनता और दुनिया भर के डॉक्टर भी इससे सहमत थे।
डॉक्टर ने उस महिला को बताया कि यह बिना साइड-इफेक्ट वाला, सुरक्षित, सस्ता और प्रभावी इलाज है। और उसकी सारी बातें सच भी थीं। उस महिला का अगले दिन से ही इलाज शुरू हो गया, उसी नयी दवा से। लेकिन पूरे इलाज के बावजूद कुछ समय बाद उस महिला की कैंसर से मौत हो गई।
वह इलाज सौ-फीसदी प्रभावी और जांचा-परखा था। फिर उस मरीज की मौत क्यों हो गई?
जवाब: वह इलाज स्तन कैंसर के लिए सौ फीसदी प्रभावी था, पर दूसरे प्रकार के कैंसरों के लिए नहीं। पहेली में कहीं नहीं कहा गया है कि उस महिला को स्तन कैंसर था। दरअसल उसे किसी और जगह का कैंसर था।
9 comments:
बात जम गई और हजम भी हो गई।
वाह अनुराधा जी मान गए ...कमाल कर दी सा
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
सचमुच बढिया पहेली थी.........
प्रणाम
बहुत अच्छी पहेली , उत्तर पढने के बाद फिर से पढ़ा और अपने आप पे हँसा .
आपने ये क्या कर दिया, मैंने सोचा पिछली पोस्ट की तरह कुछ हृदयविदारक होगा, फिर भी शुक्र है ब्लॉग पर हँसी तो बिखरी
मुर्गे की जान गई और खाने वाले को मजा आया..
कहावत में थोडा बदलाव किया है चुटकले के हिसाबे से :)
छोटी छोटी बातों पर हमलोग गौर नहीं कर पाते ....और इस कारण ऐसे प्रश्नों का जवाब देना मुश्किल होता है।
थोडी सी लापरवाही बड़े दुःख का कारण बनती है
अजब अजब ... विकट ... किन्तु सत्य!
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