Friday, November 7, 2008

इन्हें ज़रा सांस तो लेने दो!

आज हमारे देश में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर ये दोहराना सही होगा कि देश में पुरुषों के कैंसर के मामलों में 45 फीसदी मुंह, श्वास नली या फेफड़ों का कैंसर होता है और इनमें 95 फीसदी का कारण तंबाकू और धूम्रपान है। सरकार ने इस साल मई में धूम्रपान पर रोक लगाने के लिए कड़े नियम लागू कर दिए हैं, जिनका पालन, जाहिर है, आम तौर पर नहीं ही होता है।

कुछ तो सांस लीजिए, सिगरेट पीना बंद कीजिए।

यू-ट्यूब पर फेफड़ों को बचाने की धूम्रपान-विरोधी मुहिम का रियलिस्टिक वीडियो।-

5 comments:

Dr Parveen Chopra said...

सही बात है -सरकार तो कानून ही बना सकती है ना, अब यह तो पब्लिक ने देखना है कि क्या उस के हित में है और क्या अहितकर है। यकीनन ये मुंह और फेफड़े तंबाकू के द्वारा सिंकने तो बंद होने ही चाहिये। अगर कोई बंदा स्वयं ही यह निश्चय कर ही ले कि इस मुसीबत से छुटकारा पाना है तो उस के लिये कहां किसी कानून की ज़रूरत है। सेहत या तंबाकू- फैसला तो करना ही होगा।
तरह तरह के तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल होते देख इतनी फ्रस्ट्रेशन होती है कि लिख नहीं सकता। उस समय बस अपनी हार ही लगती है कि हम इन लोगों के लिये शायद उतना कर नहीं पाये जितना ज़रूरी था। समझ नहीं आता कि क्या करें !!

ATUL said...

सरकार ने २ अक्टूबर से सभी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर रोक लगा दी है लेकिन आज भी लगभग सभी स्थानों पर लोग धुँए के छल्ले बनाते दिख जायंगे।उन्हे किसी सरकार या प्रशासन का कोई खौफ नहीं। सरकार भी इस मसले पर उदासीन ही दिख रही है। लेकिन डा. प्रवीण की बात बिलकुल सही है। जब तक लोग खुद इस तम्बाकू के दुष्प्रभाव के बारे में नहीं सोचेंगे तब तक किसी अभियान की सफलता के बारे में सोचना व्यर्थ है। आप सार्वजनिक स्थानों पर रोक लगायंगे तो वे घर में पियेंगे।
तो आवश्यकता किसी अभियान या रोक की नहीं है आवश्यकता है लोगो को जागरूक करने की इस ज़हर के प्रति।

Dr. Nazar Mahmood said...

good work buddy
keep it up

sandhyagupta said...

Anuradha ji,
yah blog nahin ek muhim hai jisme hum sab aapke sath hain.

sandhyagupta said...

Anuradha ji,
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