(इलाज पक्का था, मरीज ने पूरा करवाया भी, फिर भी बच न पाई?! बहुत नाइंसाफी है ये।
एक महिला डॉक्टर के पास अपनी जांच करवाने गई। तभी पता लगा कि उसे कैंसर हुआ है। डॉक्टर ने कहा कि कोई चिंता की बात नहीं है। उसने अपने मरीज को स्तन कैंसर का ताजातरीन इलाज तस्कीद कर दिया। इस इलाज के बारे में साबित हो चुका था कि यह स्तन कैंसर का सौ फीसदी प्रभावी, शर्तिया इलाज है। आम जनता और दुनिया भर के डॉक्टर भी इससे सहमत थे।
डॉक्टर ने उस महिला को बताया कि यह बिना साइड-इफेक्ट वाला, सुरक्षित, सस्ता और प्रभावी इलाज है। और उसकी सारी बातें सच भी थीं। उस महिला का अगले दिन से ही इलाज शुरू हो गया, उसी नयी दवा से। लेकिन पूरे इलाज के बावजूद कुछ समय बाद उस महिला की कैंसर से मौत हो गई।
वह इलाज सौ-फीसदी प्रभावी और जांचा-परखा था। फिर उस मरीज की मौत क्यों हो गई?
जवाब: वह इलाज स्तन कैंसर के लिए सौ फीसदी प्रभावी था, पर दूसरे प्रकार के कैंसरों के लिए नहीं। पहेली में कहीं नहीं कहा गया है कि उस महिला को स्तन कैंसर था। दरअसल उसे किसी और जगह का कैंसर था।
This blog is of all those whose lives or hearts have been touched by cancer. यह ब्लॉग उन सबका है जिनकी ज़िंदगियों या दिलों के किसी न किसी कोने को कैंसर ने छुआ है।
Thursday, February 26, 2009
Sunday, February 22, 2009
जेड गुडी की शादी की चर्चा हम क्यों करें?
आज के दिन हर जगह जेड गुडी की चर्चा है। आज का दिन उसके लिए खास है- उसने आज शादी कर ली है। उसकी शादी के पहले इंग्लैंड और वेल्स के रोमन कैथोलिक चर्च ने जेड को शुभकामनाएं दीं और उनके लिए प्रार्थना की।
शादी के पहले खास मीडिया के लिए जेड और उसके होने वाले पति ने यह जीवंत पोज दिया
पर दुनिया के लिए 27 वर्षीय जेड गुडी की शादी इतनी खास क्यों है? इसका जवाब पाने के लिए उसकी पूरी कहानी जाननी पड़ेगी।
जेड के जिक्र/ परिचय का सिरा जोड़ने के लिए याद दिला दूं कि हिंदुस्तानी मीडिया में जेड की चर्चा पहली बार जनवरी 2007 में हुई जब इंगलैंड के रियलिटी टीवी शो सेलेब्रिटी बिग ब्रदर में शिल्पा शेट्टी पर रेसिस्ट टिप्पणियां करने का इल्जाम उस पर लगा। इसके बाद वे शो से बाहर हो गईं और आखिरकार शिल्पा जीत गईं। हालांकि इसके लिए बाद में जेड ने कई बार माफी मांगी और सफाई दी कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था।
दिलचस्प बात यह है कि फिर अगस्त 2008 में भारत में बिग ब्रदर की ही तर्ज पर शिल्पा के कार्यक्रम बिग बॉस में जेड शामिल हुईं। बिग बॉस के घर में अपने दूसरे ही दिन जेड को फोन पर पता चला कि उन्हें बच्चेदानी के मुंह का कैंसर है जो काफी विकसित अवस्था में है जिसका फौरन इलाज जरूरी है। जाहिर है, जेड कार्यक्रम छोड़ कर चली गईं और तब से लगातार कैंसर से लड़ रही हैं। ताजा समाचार यह है कि डॉक्टरों का कहना है कि “उसके पास इस दुनिया में ज्यादा समय नहीं है”।
कोई भी किसी के इस दुनिया में रहने या न रहने के समय को कैसे तय कर सकता है, जब तक कि व्यक्ति के दिल-दिमाग ने काम करना बंद न कर दिया हो? खास तौर पर कैंसर के मरीजों के बारे में ऐसी ‘भविष्यवाणियां’ मैंने भी कई बार सुनी हैं। और, यकीन मानिए, डॉक्टरों की ऐसी भविष्यवाणियों को भी अनेक मरीजों ने मेरे सामने ही झूठा साबित कर दिया है। सबका जिक्र जरूरी नहीं है, लेकिन दो-चार या आठ-दस महीनों को चार-पांच साल में बदलते मैंने कई बार देखा है। इसलिए जब सुन रही हूं कि जेड के पास कुछेक हफ्तों या महीनों का ही समय है तो चुपचाप यकीन नहीं करना चाहती। और अगर यह सच हो भी जाए तो बड़ी बात यह होगी कि जेड ने अपने 27 साल के जीवन को कितना जिया। महत्वपूर्ण सवाल यह होगा कि अपने छोटे से समय में उसने क्या किया।
उसने बहुत कुछ किया, खूब किया। पांच जून 1981 को जन्मी एक टूटे परिवार की लड़की जेड सेरिसा लॉराइन गुडी को पहली बार दुनिया ने जाना जब वह 2002 में ब्रिटेन के चैनल 4 के रियलिटी शो बिग ब्रदर के परिवार में शामिल हुईं। इस ‘परिवार’ से निकाले जाने के बाद उसने अपने टीवी कार्यक्रम बनाना शुरू किया। साथ ही अपने सौंदर्य प्रसाधन भी बाजार में उतारे।
जेड गुडी शादी के एक दिन पहले ब्राइड्स मेड्स के साथ
सोलह साल की उम्र में पहली बार उसे पता लगा कि उसके शरीर में कई ऐसी कोशिकाएं हैं जो कैंसर बना सकती हैं। इन बीमार कोशिकाओं का इलाज कर दिया गया। फिर सन 2004 उसे अंडाशय (ओवरी) का कैंसर और फिर 2006 में मलाशय का कैंसर बताया गया। दोनो बार इलाज के बाद उसे डॉक्टरों ने ‘ठीक हो गई’ माना। मगर ऐसा था नहीं। अगस्त 2008 के शुरू में फिर कैंसर की आशंका में उसने कुछ जांचें करवाईं जिनकी रिपोर्ट उन्हें हिंदुस्तान में बिग बॉस के घर पर मिली। इस दौरान दो मई 2006 को जेड ने अपनी पहली आत्मकथा- 'जेड: माई ऑटोबायोग्राफी' छपवाई और उसी साल जून में अपना इत्र- 'श्..जेड गुडी' जारी किया जो खासा लोकप्रिय हुआ।
नवंबर 2006 तक उसने नाउ पत्रिका के लिए साप्ताहिक कॉलम भी लिखा। फिर अगस्त 2008 में तीसरी बार कैंसर होने का पता लगने के बाद अक्टूबर 2008 में एक और आत्मकथा लिखी- 'जेड: कैच अ फॉलिंग स्टार' जिसमें 2007 में बिग ब्रदर कार्यक्रम के दौरान के अनुभवों को समेटा है। उस पर एक टीवी डॉक्युमेंटरी ‘लिविंग विथ जेड गुडी’ का प्रसारण सितंबर में हुआ तो दिसंबर में एक और फिल्म ‘जेड’स कैंसर बैटल’ दिखाई गई। अक्टूबर में उसने अपना दूसरा ब्यूटी सैलोन खोला। फिर क्रिसमस के दौरान थिएटर रॉयल में स्नो व्हाइट नाटक में बिगड़ैल रानी का किरदार निभाया। इस हालत में भी अपनी जीजीविषा को जिलाए रखने और अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना सब कर पाने के लिए उसकी खूब तारीफ हुई। पर जनवरी में उसे इस शो से हटना पड़ा, शरीर साथ नहीं दे पाया।
शुक्रवार, 6 फरवरी को उनके मलाशय से गेंद के बराबर ट्यूमर ऑपरेशन के जरिए निकाला गया। आज उसने अपनी बीमारी की हालत में, मौत के करीब खड़े होकर भी शादी की है जिसे फिल्माने का ठेका भी उन्होंने महंगे में बेचा। इस ईवेंट के एक्सक्लूसिव कवरेज के लिए एक पत्रिका के साथ भी उनका सौदा हुआ, एक मोटी रकम के बदले। और कीमोथेरेपी से गंजी हुई अपनी खोपड़ी को दिखाने के लिए शादी में घूंघट न पहनने का फैसला भी चौंकाने वाला, पर बिकाऊ रहा।
अपनी जिंदगी के आखिरी चंद दिन कैमरे में कैद करवाने वाली यह बीमार सेलेब्रिटी अब अपनी मौत को भी भुनाना चाहती है? लोग यही कह रहे हैं और वह खुद भी कहती है कि वह मरने के पहले ज्यादा से ज्यादा धन इकट्ठा कर लेना चाहती है, अपने पांच और चार साल के दो बच्चों के लिए। इस बारे में कुछ लोगों का कहना है कि यह जेड का शोषण है। किसी की मौत को टीवी पर लाइव देखना- दिखाना क्रूर और अमानवीय है। पर जेड का कहना है कि उनकी जिंदगी कैमरे के सामने बीती है, इसलिए मौत भी कैमरे के सामने ही हो। उधर डॉक्टर मान रहे हैं कि टीवी पर यह सब देख रहे हजारों दर्शक इसी बहाने कैंसर के बारे में जानेंगे और जागरूक बनेंगे।
शादी के पहले खास मीडिया के लिए जेड और उसके होने वाले पति ने यह जीवंत पोज दिया
पर दुनिया के लिए 27 वर्षीय जेड गुडी की शादी इतनी खास क्यों है? इसका जवाब पाने के लिए उसकी पूरी कहानी जाननी पड़ेगी।
जेड के जिक्र/ परिचय का सिरा जोड़ने के लिए याद दिला दूं कि हिंदुस्तानी मीडिया में जेड की चर्चा पहली बार जनवरी 2007 में हुई जब इंगलैंड के रियलिटी टीवी शो सेलेब्रिटी बिग ब्रदर में शिल्पा शेट्टी पर रेसिस्ट टिप्पणियां करने का इल्जाम उस पर लगा। इसके बाद वे शो से बाहर हो गईं और आखिरकार शिल्पा जीत गईं। हालांकि इसके लिए बाद में जेड ने कई बार माफी मांगी और सफाई दी कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था।
दिलचस्प बात यह है कि फिर अगस्त 2008 में भारत में बिग ब्रदर की ही तर्ज पर शिल्पा के कार्यक्रम बिग बॉस में जेड शामिल हुईं। बिग बॉस के घर में अपने दूसरे ही दिन जेड को फोन पर पता चला कि उन्हें बच्चेदानी के मुंह का कैंसर है जो काफी विकसित अवस्था में है जिसका फौरन इलाज जरूरी है। जाहिर है, जेड कार्यक्रम छोड़ कर चली गईं और तब से लगातार कैंसर से लड़ रही हैं। ताजा समाचार यह है कि डॉक्टरों का कहना है कि “उसके पास इस दुनिया में ज्यादा समय नहीं है”।
कोई भी किसी के इस दुनिया में रहने या न रहने के समय को कैसे तय कर सकता है, जब तक कि व्यक्ति के दिल-दिमाग ने काम करना बंद न कर दिया हो? खास तौर पर कैंसर के मरीजों के बारे में ऐसी ‘भविष्यवाणियां’ मैंने भी कई बार सुनी हैं। और, यकीन मानिए, डॉक्टरों की ऐसी भविष्यवाणियों को भी अनेक मरीजों ने मेरे सामने ही झूठा साबित कर दिया है। सबका जिक्र जरूरी नहीं है, लेकिन दो-चार या आठ-दस महीनों को चार-पांच साल में बदलते मैंने कई बार देखा है। इसलिए जब सुन रही हूं कि जेड के पास कुछेक हफ्तों या महीनों का ही समय है तो चुपचाप यकीन नहीं करना चाहती। और अगर यह सच हो भी जाए तो बड़ी बात यह होगी कि जेड ने अपने 27 साल के जीवन को कितना जिया। महत्वपूर्ण सवाल यह होगा कि अपने छोटे से समय में उसने क्या किया।
उसने बहुत कुछ किया, खूब किया। पांच जून 1981 को जन्मी एक टूटे परिवार की लड़की जेड सेरिसा लॉराइन गुडी को पहली बार दुनिया ने जाना जब वह 2002 में ब्रिटेन के चैनल 4 के रियलिटी शो बिग ब्रदर के परिवार में शामिल हुईं। इस ‘परिवार’ से निकाले जाने के बाद उसने अपने टीवी कार्यक्रम बनाना शुरू किया। साथ ही अपने सौंदर्य प्रसाधन भी बाजार में उतारे।
जेड गुडी शादी के एक दिन पहले ब्राइड्स मेड्स के साथ
सोलह साल की उम्र में पहली बार उसे पता लगा कि उसके शरीर में कई ऐसी कोशिकाएं हैं जो कैंसर बना सकती हैं। इन बीमार कोशिकाओं का इलाज कर दिया गया। फिर सन 2004 उसे अंडाशय (ओवरी) का कैंसर और फिर 2006 में मलाशय का कैंसर बताया गया। दोनो बार इलाज के बाद उसे डॉक्टरों ने ‘ठीक हो गई’ माना। मगर ऐसा था नहीं। अगस्त 2008 के शुरू में फिर कैंसर की आशंका में उसने कुछ जांचें करवाईं जिनकी रिपोर्ट उन्हें हिंदुस्तान में बिग बॉस के घर पर मिली। इस दौरान दो मई 2006 को जेड ने अपनी पहली आत्मकथा- 'जेड: माई ऑटोबायोग्राफी' छपवाई और उसी साल जून में अपना इत्र- 'श्..जेड गुडी' जारी किया जो खासा लोकप्रिय हुआ।
नवंबर 2006 तक उसने नाउ पत्रिका के लिए साप्ताहिक कॉलम भी लिखा। फिर अगस्त 2008 में तीसरी बार कैंसर होने का पता लगने के बाद अक्टूबर 2008 में एक और आत्मकथा लिखी- 'जेड: कैच अ फॉलिंग स्टार' जिसमें 2007 में बिग ब्रदर कार्यक्रम के दौरान के अनुभवों को समेटा है। उस पर एक टीवी डॉक्युमेंटरी ‘लिविंग विथ जेड गुडी’ का प्रसारण सितंबर में हुआ तो दिसंबर में एक और फिल्म ‘जेड’स कैंसर बैटल’ दिखाई गई। अक्टूबर में उसने अपना दूसरा ब्यूटी सैलोन खोला। फिर क्रिसमस के दौरान थिएटर रॉयल में स्नो व्हाइट नाटक में बिगड़ैल रानी का किरदार निभाया। इस हालत में भी अपनी जीजीविषा को जिलाए रखने और अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना सब कर पाने के लिए उसकी खूब तारीफ हुई। पर जनवरी में उसे इस शो से हटना पड़ा, शरीर साथ नहीं दे पाया।
शुक्रवार, 6 फरवरी को उनके मलाशय से गेंद के बराबर ट्यूमर ऑपरेशन के जरिए निकाला गया। आज उसने अपनी बीमारी की हालत में, मौत के करीब खड़े होकर भी शादी की है जिसे फिल्माने का ठेका भी उन्होंने महंगे में बेचा। इस ईवेंट के एक्सक्लूसिव कवरेज के लिए एक पत्रिका के साथ भी उनका सौदा हुआ, एक मोटी रकम के बदले। और कीमोथेरेपी से गंजी हुई अपनी खोपड़ी को दिखाने के लिए शादी में घूंघट न पहनने का फैसला भी चौंकाने वाला, पर बिकाऊ रहा।
अपनी जिंदगी के आखिरी चंद दिन कैमरे में कैद करवाने वाली यह बीमार सेलेब्रिटी अब अपनी मौत को भी भुनाना चाहती है? लोग यही कह रहे हैं और वह खुद भी कहती है कि वह मरने के पहले ज्यादा से ज्यादा धन इकट्ठा कर लेना चाहती है, अपने पांच और चार साल के दो बच्चों के लिए। इस बारे में कुछ लोगों का कहना है कि यह जेड का शोषण है। किसी की मौत को टीवी पर लाइव देखना- दिखाना क्रूर और अमानवीय है। पर जेड का कहना है कि उनकी जिंदगी कैमरे के सामने बीती है, इसलिए मौत भी कैमरे के सामने ही हो। उधर डॉक्टर मान रहे हैं कि टीवी पर यह सब देख रहे हजारों दर्शक इसी बहाने कैंसर के बारे में जानेंगे और जागरूक बनेंगे।
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