Saturday, October 4, 2008

धूम्रपान पर कड़ी पाबंदी

दो अक्टूबर से सभी सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर पाबंदी लग गई है। इसे न मानने पर सज़ा का भी प्रावधान है। यह सभी की सेहत के लिए अच्छा है। खास बात यह है कि कई सर्वेक्षणों में लोगों ने समान रूप से इस पाबंदी का समर्थन किया है।
इस मसले पर घोस्ट बस्टर ने अपने ब्लॉग पर एक शानदार पोस्ट डाली है। उसके सुंदर चित्र, प्रवाहमय भाषा, खूबसूरत अभिव्यक्ति और रिच कंटेंट पढ़ कर मैं आपको भी उससे परिचित करवाने के लालच से बच नहीं पाई।

वे लिखते हैं- "आम जनता की और से सरकार के इस कदम का जबरदस्त स्वागत हुआ है. मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार ९२% लोगों ने धूम्रपान निषेध के लिए कड़े क़दमों का स्वागत किया है

फ़िर भी इस बात को लेकर एक बड़ी बहस छिडी हुई है. बैन के पक्षधर और विरोधी तमाम तरह के तर्क दे देकर मैसेज बॉक्स और फोरम्स के पन्नों पर पन्ने रंगे जा रहे हैं. अपन तो बस इस बैन को जल्द से जल्द और सख्ती से लागू किए जाते देखना चाहते हैं. एक कम्युनिटी के रूप में स्मोकर्स के लिए अपने मन में जरा भी इज्जत नहीं. क्योंकि,

१. ये जानते हैं कि धूम्रपान इनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है. मगर इन्हें परवाह नहीं.
२. इन्हें पता है कि ये इनके घर के अन्य सदस्यों, जो स्मोक नहीं भी करते, के लिए भी बुरा है, मगर ये आदत से मजबूर हैं.
३. स्मोकिंग से होने वाली विषैली गैसों का उत्पादन पूरे विश्व के पर्यावरण के लिए नुक्सान ही पहुँचाने वाला है, होता रहे इनकी बला से.
४. सार्वजनिक स्थानों पर किसी स्मोकर को धुंआ उडाते देखने का दृश्य अभद्रता का खुला प्रदर्शन लगता है...."

पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

8 comments:

Unknown said...

अनुराधा जी आप ने आकड़े दिये अच्छा लगा । आपने कुछ शब्दों को शायद ध्यान देकर नहीं पढ़ा है उन शब्दों में खामियां है सही कर लीजिएगा

दीपक कुमार भानरे said...

सरकार ने अच्छा कदम उठाया है .
सरकार को इसी तरह देश की अन्य समस्यायों और बुराई को रोकने हेतु ऐसे ही इक्छा शक्ति दिखानी चाहिए .

आर. अनुराधा said...

नीशू जी, गलतियों की तरफ ध्यान दिलाने का शुक्रिया। तीन जगह हिज्जे की गलतियां थीं, जो सुधार ली गई हैं। दरअसल मेरी ट्रेन छूटी जा रही थी, इसलिए हड़बड़ी में पोस्ट डाली थी और उसे दोबारा पढ़ने का भी ख्याल नहीं रहा। पांच दिन की छुट्टी का इरादा था इसलिए पोस्ट जरूर डालने का लालच भी था। पर इधर देखिए, मुझे उम्मीद से जल्दी ही नेट पर आने का और गलतियां सुधारने का मौका मिल गया। :-)

Udan Tashtari said...

हम भी आपके साथ है और इस बैन का समर्थन करते हैं.

Ghost Buster said...

आपका बहुत आभार इन शब्दों और लिंक के लिए. धूम्रपान का जहाँ और जिस स्तर पर भी विरोध हो सके, करना मैं सही समझता हूँ. एक फॉलो-अप पोस्ट भी लिखने का इरादा था प्रतिबंध लागू होने के बाद की स्थिति को लेकर, मगर समयाभाव के कारण अभी तक संभव ना हो सका.

Dr Parveen Chopra said...

सार्वजनिक जगहों पर स्मोकिंग तो बैन हो गई ---लेकिन अच्छा होता कि अगर चबाने वाले तंबाकू को भी इस में शामिल कर लिया गया होता और उस से भी ऊपर मैं तो तब जश्न ही मना लेता अगर तंबाकू जैसे घिनौने विलेन को ही बैन कर दिया जाता।--न रहता बांस और न बजती बांसुरी.
मुझे एक टीवी चैनल पर एक या दो अक्टूबर की रात को प्रसारित एक प्रोग्राम का ध्यान बार बार आ रहा है.....उस में उन्होंने एक लंबी चौड़ी लिस्ट दी कि बैन तो हमारे देश में इन चीज़ों पर भी है और लिस्ट में कुछ इस तरह के नाम थे....दहेज लेना या देना, 18 वर्ष से कम बच्चियों की शादी एवं और भी बहुत कुछ लिखा हुया था.
मुझे आज आप की ब्लाग देखने का अच्छा मौका मिला है.....दो-तीन पोस्टें पढ़ीं,बहुत अच्छा लगा। यूं ही लिखते रहिये और ज्ञान रूपी ज्योति जलाये रखिये।
धन्यवाद.

Anonymous said...

Hindi mein comments kaise likhte hain, kabhi milenge to bataiyega. aapka blog bahut achha lagta hai. Main aapke is prayas se bahut prabhavit hoon. Aap itna kuchh kaise kar lethi hain? Smoking par Ban vishay par bhee aapke tarq (arguments) ekdum sahi hain. Haalanki kisi ne yeh sahi comment kiya kee tambaku par bhee ban lagna chahiye tha.
Keep doing this good work. With lots of best wishes,
Sasneh, Vibhu

आर. अनुराधा said...

सही कहा, हमारे देश में खास तौर पर पुरुषों को होने वाले कैंसरों में 45 फीसदी मुंह-गले और सांस की नली से संबंधित होते हैं और उनमें से 95 फीसदी कैंसरों का कारण सिर्फ एक होता है- तंबाकू। इस पर इसी ब्लॉग के एक लेख का एक लिंक नीचे दे रही हूं-

http://ranuradha.blogspot.com/2008/05/blog-post_18.html

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