tag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post3020701009869602081..comments2023-10-24T00:54:54.043+05:30Comments on RAINBOW/इंद्रधनुष: सिगरेट पीना हॉट है या कूल?आर. अनुराधाhttp://www.blogger.com/profile/16394670775058734814noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-20582088631901116642009-12-07T00:17:19.629+05:302009-12-07T00:17:19.629+05:30बढ़िया जानकारी के साथ बढ़िया ब्लॉग है.. शायद सिगरे...बढ़िया जानकारी के साथ बढ़िया ब्लॉग है.. शायद सिगरेट के तलबगार आपकी इन लाइन्स को पढ़कर ही कुच सबक ले लें..अबयज़ ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/06351699314075950295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-35028032757668024562009-11-16T11:54:59.606+05:302009-11-16T11:54:59.606+05:301. हवा कोई और, किसी और तरीके से गंदी कर रहा है, तो...1. हवा कोई और, किसी और तरीके से गंदी कर रहा है, तो आपको अधिकार नहीं मिल जाता कि आप भी बहती गंगा में हाथ धो लें। जब आप जैसे पढ़े-लिखे यानी प्रबुद्ध लोग भी यही सोचेंगे कि सब तो घड़े में दूध की बजाए पानी डाल रहे हैं तो मैं भी क्यों न एक लोटा पानी ही डाल आऊं, तब तो अल्ला मालिक है।<br />2. और खास बात यह है कि वह हवा मैं इस्तेमाल करती हूं, जिसे साफ पाने के लिए गंदा करने वालों से अपना विरोध जताने का मुझे पूरा-पूरा हक है। अब यह आप नहीं तय कर सकते कि मैं किसका विरोध करूं, किसका नहीं। खास तौर पर उस वक्त जबकि आप यह भी नहीं जानते कि मैं और किसका विरोध समर्थन/ विरोध कर या नहीं कर रही हूं।<br />3. देश में विरोधाभासों की फेहरिस्त आपने यहां चेप दी और सवाल भी किया कि क्यों न उन उद्योगपतियों का विरोध करें। जरूर करें और जब सवाल उठाया है तो क्यों न शुरुआत भी आप कर डालें। सभी संवेदनशील लोग जरूर साथ आएंगे। मैं तो अपने स्तर पर अपनी समझ के मुद्दों पर विरोध-समर्थन लगातार कर ही रही हूं। आप भी एक नई मुहिम में जुट जाएं, देश का कुछ तो भला हो जएगा।<br />4. और अंत में प्रार्थना.....<br />फिर वही, सरकार पर सारे दोष और सरकार से ही सुधार की उम्मीद!! क्या अब भी आपको लगता है कि जिन लोगों में से कुछ को चुनकर हम सरकार बनाने के लिए भेजते हैं वे 'देश के लोगों की भलाई के लिए' वहां आते हैं? और वे जो कुछ करते हैं, उससे देश की उसी वंचित जनता का कुछ भला होता है, जिसकी लिस्ट आपने दी? हमें अपनी शासन व्यवस्था को फिर से समझने की जरूरत है, शुरू से शुरू करके। मैंने कई बार शुरुआत की है, पर फिलहाल कोई उपाय सामने-दूर कहीं नहीं दिखता। आप में से किसी को दिखता हो तो कृपया बताएं।आर. अनुराधाhttps://www.blogger.com/profile/16394670775058734814noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-1525422025796869262009-11-15T20:11:34.097+05:302009-11-15T20:11:34.097+05:30साफ़ हवा का अधिकार?
क्या मज़ाक है…जिस देश में और जिस...साफ़ हवा का अधिकार?<br />क्या मज़ाक है…जिस देश में और जिस व्यवस्था में एक आदमी दस को ले जाने लायक वाहन में अकेले घूमकर लोगों के चलने तक का अधिकार छीन लेता है, कुछ लोग पेट भरकर ही नहीं उलट-पुलट कर खा सकें इसलिये लाखों के दो वक़्त के खाने का अधिकार छीन लेता है, एक इंडस्ट्रियलिस्ट की विलासिता के लिये हज़ारों लोग उजाड दिये जाते हैं, किसान से ज़िन्दा रहने का अधिकार तक छीन लिया जाता है, पीने के पानी को पीकर लोग मर जाते हैं, पत्थर काटते-काटते एक इंसान टीबी का शिकार होकर मर जाता है, एक नवजात को इसलिये मार दिया जाता है कि वह लडकी है…और भी न जाने क्या-क्या…वहां यह सिगरेट जैसी दो कौडी के विरोध का परचम घिन पैदा करता है। सब उत्तर आधुनिकता के वायवीय विरोध विमर्श का घिनौना हिस्सा…एन जी ओ-पूंजीपति-सरकार और फ़ैशनेबल नवशिक्षितों का मिलाजुला सामाजिक क्रांति का प्रदर्शन्…<br />बहुत कुछ और है विरोध करने को…सिगरेट का क्या…सरकार जब चाहे बनाना बंद कर सकती है…अगर इसका भी सही विरोध करना है तो इसकी मैन्यूफ़ेक्चरिंग को बंद करने की ही मांग क्यों ना की जाये?Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-80426363653729870362009-11-15T10:34:51.393+05:302009-11-15T10:34:51.393+05:30अशोक कुमार पांडेजी,
फिर से दोहरा दूं-
"वैसे त...अशोक कुमार पांडेजी,<br />फिर से दोहरा दूं-<br />"वैसे तो व्यक्ति अपने लिए अच्छा-बुरा खुद तय करता है। पर सिगरेट के बारे में यह है कि इसमें व्यक्ति दूसरे का भी दोनो के ही अनचाहे बुरा करता रहता है।"<br /><br />और हर व्यक्ति का इंसानी कर्तव्य है कि वह दूसरों की आजादी का ख्याल रखे, किसी के साफ हवा के अधिकार को न मारे और ध्यान रखे कि उसको कोई अधिकार नहीं है कि किसी दूसरे के भले-बुरे के बारे में खुद तय करने की कोशिश करे।आर. अनुराधाhttps://www.blogger.com/profile/16394670775058734814noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-5932041451582737532009-11-14T22:10:28.720+05:302009-11-14T22:10:28.720+05:30हाट हो या कूल भैये हमें अच्छी लगती है हम पीयेंगे।
...हाट हो या कूल भैये हमें अच्छी लगती है हम पीयेंगे।<br />लोग दूध पीके मर रहे हैं, खोआ खाके मर रहे हैं और तो और भूखे मर रहे हैं और आप बन्धु लोग इस सिगरेट के पीछे पडे हैं?<br /><br />गुलाम तो आदमी नौकरी का भी है और वह ससुरी आपको आदमी से 'सर' या 'पैर' बना देती है। आदमी ब्लागिंग का गुलाम हो गया है और यह अपने ही घर में अलग द्वीप का रहवासी बना देती है।<br /><br />याद रखिये<br />सिर्फ़ सेहत के सहारे ज़िन्दगी कटती नहींAshok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-89865630558197408472009-11-14T21:52:13.291+05:302009-11-14T21:52:13.291+05:30वैसे तो व्यक्ति अपने लिए अच्छा-बुरा खुद तय करता है...वैसे तो व्यक्ति अपने लिए अच्छा-बुरा खुद तय करता है। पर सिगरेट के बारे में यह है कि इसमें व्यक्ति दूसरे का भी दोनो के ही अनचाहे बुरा करता रहता हैआर. अनुराधाhttps://www.blogger.com/profile/16394670775058734814noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-3963561899649176362009-11-13T21:54:22.692+05:302009-11-13T21:54:22.692+05:30एक जमाना था जब सिगरेट पीना स्टाइल माना जाता था.......एक जमाना था जब सिगरेट पीना स्टाइल माना जाता था....<br /><br />..बहुत सही कहा... मुझे याद है स्कूल के दिनों में मेरा एक दोस्त मुझसे यही कह कर सिगरेट पीने की सलाह दिया करता था. अच्छा हुआ सलाह नहीं मानी मैंने वरना अब तक 'कूल' हो चुका होता :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-74717924283882870992009-11-13T21:08:39.175+05:302009-11-13T21:08:39.175+05:30मुझे खुशी है कि इतने लोग मेरी बातों से सहमत हैं। औ...मुझे खुशी है कि इतने लोग मेरी बातों से सहमत हैं। और हिम्मत की बात है कि कोई स्वाकार करे कि उसे धुंए की तलब है। हालांकि दीप्ति ने सही कहा, इसके बाद तलब से उबरना कई-कई प्रणों, वादों, इरादों के बाद भी ज्यादातर लोगों के लए लगभग असंभव होता है। <br /><br />कोई उपाय है? निकोटीन पैच या डिएडिक्शन सेंटर जैसे कॉस्मेटिक तरीकों से ज्यादा सोच में बदलाव करके इस बुरी लत को छोड़ने की जरूरत है, जो पीने वाले के बराबर ही, उसके साथी को भी नुकसान पहुंचाती है, झिलाती है।आर. अनुराधाhttps://www.blogger.com/profile/16394670775058734814noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-44454336170038429412009-11-13T17:23:33.649+05:302009-11-13T17:23:33.649+05:30सबसे बड़ी समस्या ये है कि जो पीता है वो ये सब जानत...सबसे बड़ी समस्या ये है कि जो पीता है वो ये सब जानते हुए भी पीता है। ये कहते हुए पीता है कि चलो जल्दी ही मन जाएंगे लेकिन, पीते हुए ही जाएंगे। ऐसे लोगों को समझाना सबसे कठिन काम है। मेरी दोस्त के पिता भी खूब पीते हैं जब उन्हें समझाओ कहते हैं होता होगा किसी को मुझे कुछ नहीं होगा। समस्या ये भी है कि ऐसे लोगों की बिमारी और मौत जितनी वो ख़ुद भुगतते है उससे ज़्यादा उनके घरवाले भोगते हैं।Diptihttps://www.blogger.com/profile/18360887128584911771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-43898702367620714372009-11-13T13:42:35.802+05:302009-11-13T13:42:35.802+05:30aapke aalekh ne prabhaavit kiya....
bheetar tak ...aapke aalekh ne prabhaavit kiya....<br /><br />bheetar tak udwelit kiya..<br /><br />main bhi cigarate peeta hoon...<br /><br />prayas karoonga..<br /><br /><br />na peene ka<br /><br />dhnyavaad !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-91185989066085225152009-11-13T13:08:54.697+05:302009-11-13T13:08:54.697+05:30सिगरेट पीने के बाद हॉट रह ही कहां जाती है।सिगरेट पीने के बाद हॉट रह ही कहां जाती है।Anshu Mali Rastogihttps://www.blogger.com/profile/01648704780724449862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-21254058219428368712009-11-13T04:33:36.578+05:302009-11-13T04:33:36.578+05:30सुन्दर आलेख.सुन्दर आलेख.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-64132578119701213532009-11-13T01:51:20.297+05:302009-11-13T01:51:20.297+05:30सच कहा आपने कि सिगरेट पीनेवाला
'' न तो ‘...सच कहा आपने कि सिगरेट पीनेवाला <br /><br />'' न तो ‘हॉट’ लगता है, और न ‘कूल ' '' |<br /><br />वस्तुतः 'फूल ' ( मुर्ख ) लगता है |<br /><br /> उपयोगी जानकारी का शुक्रिया ... ...Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7993881583428957935.post-46037894681055142022009-11-13T01:49:51.395+05:302009-11-13T01:49:51.395+05:30आपकी बात सही है । कहा भी गया है कि सिगरेट कागज में...आपकी बात सही है । कहा भी गया है कि सिगरेट कागज में लिपटी हुई तम्बाकू है जिसके एक सिरे पर आग होती और दूसरे सिरे पर एक बेवकूफ ।<br /><br /><br />लेकिन एक बार लत पड जाने पर आदमी इतना गुलाम हो जाता है कि छोडना बहुत मुश्किल हो जाता है । हर पीने वाला छोडना चाहता है , पर एक लाचारी निर्मित हो जाती है । बहुत कम लोग पूर्णत; सफल हो पाते हैं ।अर्कजेशhttp://www.arkjesh.blogspot.com/noreply@blogger.com